*एसईसीएल अस्पतालों में इलाज नहीं, सिर्फ रेफर! नवरत्न कंपनी की चमक में छिपी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था, वेलफेयर बोर्ड के निरीक्षण में उजागर हुईं गंभीर खामियां*

कोरबा | कोल इंडिया की अनुषांगिक कंपनी एसईसीएल की चमक-दमक सिर्फ उत्पादन तक सीमित रह गई है। अंदरूनी हालात खासकर विभागीय अस्पतालों में बेहद चिंताजनक हैं। आज में एसईसीएल वेलफेयर बोर्ड के चार सदस्य – टिकेश्वर सिंह राठौर (बीएमएस), शंकर बेहरा (एचएमएस), अशोक यादव (एटक), और पी एस पाण्डेय (सीटू) – कोरबा क्षेत्र के निरीक्षण पर पहुंचे। इस दौरे में जो खामियां सामने आईं, उन्होंने कर्मचारियों के वर्षों पुराने दर्द को उजागर कर दिया, जिसकी अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई थी।
विभागीय अस्पताल या रेफर सेंटर ?
एसईसीएल कोरबा के मुड़ापार स्थित मुख्य अस्पताल में निरीक्षण के दौरान सामने आए हालात किसी भी नवरत्न कंपनी के लिए शर्मनाक कहे जा सकते हैं। न विशेषज्ञ डॉक्टर, न पर्याप्त स्टाफ, और न ही गंभीर मरीजों के इलाज की पुख्ता व्यवस्था। दवाई ले रहे कमियों के लिए वेंटिलेशन तक की व्यवस्था नहीं है, बेड अलमारी वर्षो पुरानी है, यहां तक कि जो डॉक्टर मौजूद है उनके उपचार करने इक्यूपमेंट तक उपलब्ध नहीं है। कर्मचारियों का कहना है – “यह अस्पताल नहीं, रेफर सेंटर है।” बोर्ड सदस्यों ने कोरबा में सुप स्पेशलिटी अस्पताल खोलने की मांग की है ताकि सिटी स्कैन, एक्सरे और एमआरआई की सुविधा विभागीय अस्पताल में हो मिल सके।
कागज़ों में करोड़ों, ज़मीनी हकीकत फेल
एसईसीएल हर साल स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन ये पैसा आखिर जा कहां रहा है – इसका जवाब किसी के पास नहीं है। अस्पताल में सुविधाएं नाम मात्र की हैं और व्यवस्थाएं भगवान भरोसे।
सवालों से तिलमिलाया प्रशासन
जब मीडिया ने वेलफेयर बोर्ड के सामने यह सवाल रखा कि “ठेकेदारों को अधूरे काम पर भुगतान क्यों?” – तो जवाब मिला, “इस पर विभागीय अधिकारियों से बात करेंगे।” सवाल यह है कि सिर्फ बातचीत से कब तक काम चलेगा ? जबकि बोर्ड सदस्य खुद ये स्वीकार रहे है करोड़ो खर्च ले बाद भी सफाई, ड्रेनेज, HTP की व्यवस्था सही नहीं है।
बोर्ड की रिपोर्टें फाइलों में दबी, असर शून्य
हर बार निरीक्षण होता है, रिपोर्ट बनती है, लेकिन सुधार की बजाय सब कुछ कागजों तक ही सिमट जाता है। ना कोई ठोस कदम, ना किसी पर कार्रवाई।
प्रबंधन से हुई चर्चा, सुधार का आश्वासन
बोर्ड के सदस्यों ने निरीक्षण के बाद प्रबंधन से चर्चा की, जिसमें खामियों को स्वीकारते हुए उन्हें जल्द सुधारने का आश्वासन दिया गया।