CHHATTISGARHCRIMEKORBAVIDEO

तलब सैलरी की थी, मिली तालिबानी सज़ा! नाखून उखाड़े, कपड़े उतरवाए, करंट दिए – कोरबा में दो मेहमान मजदूरों पर दरिंदगी का वीभत्स चेहरा उजागर

तलब सैलरी की थी, मिली तालिबानी सज़ा!

नाखून उखाड़े, कपड़े उतरवाए, करंट दिए – कोरबा में दो मेहमान मजदूरों पर दरिंदगी का वीभत्स चेहरा उजागर

 

कोरबा/भीलवाड़ा | द वॉइस न्यूज़ एक्सक्लूसिव

छत्तीसगढ़ की उर्जाधानी कोरबा में एक ऐसी अमानवीय घटना सामने आई है, जिसने पूरे ज़िले को झकझोर दिया है। यहां आये राजस्थान के दो मजदूर भाइयों को सिर्फ इसलिए अपहरण कर बेरहमी से टॉर्चर किया गया क्योंकि उन्होंने अपनी दो महीने की सैलरी मांगी थी।

भीलवाड़ा से कोरबा आए मुकेश और विनोद नामक दो चचेरे भाई फरवरी में आइसक्रीम लॉरी में काम करने आए थे। उन्हें 10 हजार रुपए प्रति माह, खाना और रहना मुफ्त देने का वादा किया गया था। लेकिन जब सैलरी मांगी, तो कहानी बदल गई।


गोदाम में बंद कर दी गई कोरबा की ‘काल कोठरी’

मजदूरों को सिविल लाइन थाना क्षेत्र के खपराभट्ठा स्थित एक गोदाम में बंद कर दिया गया। वहां उनके साथ ऐसा सलूक हुआ जिसे सुनकर आपकी रूह कांप उठेगी:

  • कपड़े उतरवाकर डंडों से बेरहमी से पीटा गया
  • पैरों की उंगलियों के नाखून प्लायर से खींचे गए
  • शरीर पर बिजली का करंट लगाया गया
  • पूरा टॉर्चर मोबाइल कैमरे पर रिकॉर्ड किया गया
  • परिवार को वीडियो भेजकर 30 हजार रुपए की फिरौती मांगी गई

15 अप्रैल: 23,950 रुपए ट्रांसफर होने के बाद ही दोनों भाइयों को छोड़ा गया।

17 अप्रैल: आरोपी छोटू गुर्जर, जो खुद भी राजस्थान का रहने वाला है, भीलवाड़ा पहुंचा और फिर से धमकाया – “अगर पुलिस को बताया तो जान से मार देंगे।”


क्यों जुड़ा है कोरबा इस शर्मनाक मामले से?

यह घटना सिर्फ एक मजदूर के साथ नहीं, कोरबा की छवि पर भी हमला है।

  • देशभर के लोग रोजगार के लिए कोरबा आते हैं
  • यहां की औद्योगिक प्रतिष्ठा, शांत माहौल और श्रमिक-समर्थक छवि के लिए कोरबा जाना जाता है
  • लेकिन ऐसी घटनाएं सवाल उठाती हैं – क्या कोरबा अब असुरक्षित होता जा रहा है?

क्या कोरबा प्रशासन को इस घटना पर तत्काल संज्ञान नहीं लेना चाहिए ?


पीड़ितों की पुकार:

मुकेश ने बताया – “हमें चुप रहने को कहा गया। हमें धमकाया गया। विनोद तो आज तक ठीक से सीधा लेट भी नहीं पाता। हर रात उसे झटकों की याद से नींद टूट जाती है।”

परिवार ने न्याय की गुहार लगाई है। जबकि भीलवाड़ा पुलिस पर आरोप है कि उसने FIR लेने की बजाय समझौते का दबाव बनाया।


द वॉइस का सवाल:

  • क्या कोरबा जैसे शहर में अब सैलरी मांगना अपराध है?
  • क्या पुलिस तंत्र ऐसे अपराधियों को संरक्षण देता रहेगा?
  • क्या मजदूरों की जान इतनी सस्ती हो गई है?

हमारे पास टॉर्चर वीडियो, बैंक ट्रांजैक्शन और कॉल रिकॉर्डिंग्स मौजूद हैं।
हम चुप नहीं बैठेंगे। thevoices न्याय की लड़ाई लड़ेगा – जब तक दोषियों को सज़ा नहीं मिलती!


(इस खबर से जुड़ा वीडियो देखने के लिए the voices के फेसबुक और यूट्यूब चैनल पर विजिट करें)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button